समय का दुरुपयोग
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“काल्ह करे सो आज कर आज करे सो अब, पल में प्रलय होयगी, बहुरि करेगा कब”
समय भागते हुए ऐसे गंजे व्यक्ति के समान हैं जिसके सिर्फ माथे पर बाल हैं | अगर हम उसे आगे से पकड़ लेंत भी वह हाथ आयेगा | बादमें ‘अब पछताए होत क्या,जब चिड़िया चुग गयी खेत’| सांपनिकलजानेकेबादलकीरपीटनेसेक्यालाभ| इस संसार में सब कुछ समय पर निर्भर करता है | प्रकृति भी समय का अनुपालन करती हैं| ऋतुएं बदलना, दिन-रात का होना, ज्वार-भाटा उसके सभी कार्य निर्धारित है | समय का दुरूपयोग मनुष्य के भविष्य पर गहरा असर छोड़ता है और बीता हुआ समय कभी लौट कर नहीं आता|
मनुष्य अपने जीवन कानपा-तुला अधिकांश समय व्यर्थ के कामों में नष्टकर देते हैं |प्रत्येक प्रबुद्ध व्यक्ति समय के महत्व को स्वीकार करता है | समय धन से भी ज्यादा कीमती है; क्योंकि यदि धन को खर्च कर दिया जाए तो यह वापस प्राप्त किया जा सकता है यदि हम एक बार समय को गंवा देते हैं, तो इसे वापस प्राप्त नहीं क रसकते हैं | हमारा जीवन समय के परकोटे में बंद है।ईश्वर ने जितना समय हमें दिया है उसने एक क्षण की भी वृद्धि होना असंभव है । आज आधुनिक दौर में व्यक्ति प्रगति की राह पर इतनी तेजगति से चल रहा है कि समय को बाँधकर रखना नितांत आवश्यक है अर्थात्यह आवश्यक है कि समय रहते हम अपने कार्य को तुरंत पूर्णता प्रदान करें। ‘समय गया बात गई’ यह लोकोक्ति हमें संदेश देती है कि महत्ता समय की ही है । निरंतर कार्य भी हमें शारीरिक व मानसिक रूप से थका देता है इसलिए यह आवश्यक है कि उचित अंतराल के बाद हम विश्राम लेते रहें तथा मनोरंजन आदि के लिए भी समय निकालें जिससे हम पुन: स्कूर्तिवान हो सकें। गाँधी जी अपने मिनट-मिनट के समय का हिसाब रखते थे, साथ-साथ वे कुछ समय आराम के लिए भी निकाल रखते थे।अत: उचित आराम को समय का दुरुपयोग नहीं कहा जा सकता। समय का मूल्यांकन करके हम समय का सदुपयोग करें तो सफलता निश्चित रूपसे मिल सकती है।अत: हमारा यह कर्तव्य है कि हम अपने समय का सदुपयोग करें और अपने महान्राष्ट्र को उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाएँ।
समय का सबसे कहना है
जीवन चलते रहना है
इसकों मत बर्बाद करो
सदा काम की बात करो
कल कल नदियाँ बहती है
हर-पल सबसे कहती है
जीवन बहता पानी है
रुकना मौत की निशानी है
लक्ष्य भारती
पत्रकार
कैम्ब्रिज इंटरनेशनल फाउंडेशन स्कूल